लेखनी कविता-31-Dec-2022 :- बच्चे
दैनिक प्रतियोगिता:-
कविता:- बच्चे
बच्चे मन के सच्चे
होते हैं थोड़े से अक्ल के कच्चे
वैसे होते हैं काफ़ी होशियार
कभी ना माने किसी से हार
मन कोमल होता है इनका
जैसे जल में गिरता एक तिनका
दादा - दादी के होते हैं प्यारे
नाना- नानी के होते दुलारे
माता- पिता की होते जान
बुआ- फूफा के होते लाडले
मौसी- मौसा छिड़कते इन पर जान
दिन- भर तो ये धूम मचाते
नाचते गाते सबको हंसाते
अपनी मासूमियत से जीत लेते
सबका हृदय
फिर चाहे ही दिन या रात
करते रहते प्यारी प्यारी बात
हर बात में पूछे सवाल
जब ना मिले कोई जवाब
तो उठाते तूफ़ान और
मचाते बवाल
खाने के होते शौकीन
फिर चाहे दे दो इन्हें मीठा
या दे दो नमकीन
हर बात इनकी लगती हसीन
किसी को ना होने देते गमगीन
बच्चे मन के सच्चे
ज़रा से कच्चे, दिल के सच्चे।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
14-Jan-2023 11:53 AM
बेहतरीन बेहतरीन
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आँचल सोनी 'हिया'
04-Jan-2023 09:56 PM
Good
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Swati Sharma
04-Jan-2023 10:08 PM
Thank you ma'am
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Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 07:56 PM
शानदार
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Swati Sharma
03-Jan-2023 11:21 PM
शुक्रिया मेम
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